कृषि क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए बेरोजगार लोगो के पास कई प्रकार के मौके होते हैं। आज के समय में तो युवाओं के सामने कृषि के क्षेत्र बहुत सारे मौके हैं। जहाँ युवा अपना कृषि के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसका भारत मे लगभग 60 से 70% जीडीपी में योगदान रहता है। तो एक बहुत बड़ी मार्केट है। कृषि के क्षेत्र में कैरयिर बानाने के बहुत मौके है। आज हम आप को कुछ तरीका बताने जा रहे है। जिससे आप एक ही स्मार्ट किसान (Smart Farmer) बनकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं। अगर कोई युवा या कोई किसान बताए गए इन तरीकों से खेती करता है। और धीरे-धीरे शुरुआत करता है और इन तकनीकी को सीखता है तो, आने वाले समय में कृषि के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा किसान बन सकता है।
जिस स्पीड से दुनिया बदलती जा रही हैं और नई-नई मशीनों का आविष्कार होता जा रहा है खेती उतनी ही सरल तरीके से होती जा रही है। बस आपको नई नई चीजों के बारे में सीखना है और उसको अप्लाई करना है। आज भारत में लगभग 140+ करोड़ जनसंख्या की आबादी लगभग हो गया है। जिसके लिए खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करना एक बहुत बड़ी चुनौती का काम रहता है। भारत में कृषि क्षेत्र में देखा जाए तो जलवायु परिवर्तन, बंजर भूमि, पानी की समस्याएं के कारण खाद्य उत्पादन में कमी भी देखा जाता है। इन सभी समस्याओं को देखते हुए हमारे देश के वैज्ञानिकों ने कृषि के लिए कई तकनीकी खोज निकाली हैं। जो लगभग हर चुनौती को दूर कर देती है। समय के साथ कृषि के क्षेत्र मे तकनीकों में अच्छी खासी डिमांड रहने वाली है। फिर खेती-किसानी मिट्टी और जलवायु की मौहताज नहीं रहेगी।
प्रिसिजन फार्मिंग विधिं
किसान भाइयों को मिट्टी और फसल की सही जानकारी लेकर ही अच्छी खेती की जा सकती है। इसके लिए किसान भाई प्रिसिजन फार्मिंग मॉडल मे कुछ ऐसा ही होता है। इसमें आपको मिट्टी, जलवायु और फसलों में हो रहे बदलाव की ग्रोथ का डाटा इकट्ठा किया जाता है। और इस डाटा के अनुसार आप अपने खेत में सिंचाई, उर्वरक, कीटनाशक और बाकी अन्य कार्य करते हैं। जिससे आप की खेती ने संतुलित मात्रा में सभी चीजों का इस्तेमाल होता है। आप कई प्रकार के होने वाले नुकसान से बच जाते हैं। आपकी खेती बहुत ही अच्छे तरीके से होती है और फसल का पैदावार बढ़ जाता है।
वर्टिकल फार्मिंग विधिं
देश दुनिया में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। जिसके कारण लगातार जलवायु परिवर्तन होता जा रहा है और इसका खेती पर बहुत बुरा असर देखने को मिल रहा है। खासकर की बागवानी फसलों पर इसका ज्यादा प्रभाव देखने को मिला है। जिसके कारण ऐसे में वर्टिकल फार्मिंग का मॉडल बहुत तेजी से किस किसानों के बीच प्रचलन में आ रहा है।
इसमें एक संरक्षित ढांचे, ग्रीनहाउस या इनडोर में फसलों को उगाया जाता है। जिससे कि जलवायु परिवर्तन का कम असर पड़ सके। इस प्रकार की खेती में बिल्कुल अलग तरीके से पानी और न्यूट्रिएंट्स दिया जाता है। जिससे खेत में कीट व रोगों का प्रकोप कम लगते है। बहुत कम जगह में वर्टिकल फार्मिंग करके अच्छी उपज ली जा सकती है। गांव तथा शहरों में वर्टिकल गार्डनिंग करके भी लोग अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।
रोबोटिक्स से खेती
दुनिया में रोबोट का कार्य बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। हेल्थ केयर से लेकर होटलों तक लगभग सभी क्षेत्रों मे रोबोट अपना कार्य कर रहे हैं। कई विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में रोबोट ही कृषि मजदूर की तरह कार्य करने को तैयार किए जा रहे हैं। जिससे वह बुआई, सिंचाई, निगरानी, छिड़काव कार्य के साथ-साथ कटाई में भी काम करेंगे। बताया जा रहा है कि रोबोटिक्स के आने से खेती की लागत भी कम होगी और आधुनिक तरीके से अच्छा उत्पादन भी प्राप्त होगा। दुनिया में कई ऐसे देश है। जो खेतों में रोबोटिक्स का कार्य चालू भी कर चुके हैं।
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रीजनरेटिव फार्मिंग से खेती
खेती किसानी करने का केवल एक मकसद फसल का उत्पादन ही नहीं है। बल्कि कौन-कौन से संसाधन का उपयोग कर रहे हैं। उसको भी ध्यान में रखना जरूरी है। ताकि आने वाले समय में भी सही ढंग से उपज ली जा सके। इसके लिए रीजनरेटिव खेती से भी मिट्टी के स्वास्थ्य, जैव विविधता और कारण एनिमेशन में किस प्रकार से सुधार किया जाए इस पर भी ध्यान देना जरूरी रहता है। जिससे कि बंजर जमीन, भूजल संकट चुनौतियां दूर की जा सके। इसमें फसल चक्र, इंटरक्रॉपिंग, जुताई और तमाम कार्य शामिल हैं जिससे मिट्टी के साथ साथ ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी कम किया जा सके।
सस्टेनेबल फार्मिंग विधिं
भारत में लगभग 60 से 70% आबादी ग्रामीण इलाके में रहती है और कई पीढ़ियों से खेती-किसानी करती आ रही है। लेकिन इस बारे में कोई बात नहीं करता है कि खेती से कैसे कैरियर बनाया जाए और उससे फायदा कैसे कमाया। सस्टेनेबल फार्मिंग मतलब टिकाऊ खेती इस काम मे किसानों की खास मकसद के लिए किया जाता है। जिसमें केमिकल फर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड का कम इस्तेमाल किया जाता है। और बहुत कम पानी में अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जाता है।
आज के इस महत्वपूर्ण आर्टिकल को लेकर आप सभी का कोई भी सावल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स मेंं ज़रूर लिखें और आर्टिकल कैसा लगा ये भी ज़रूर बताएं। इस लेख सभी किसान भाइयों तक शेयर ज़रूर करें, धन्यवाद।