गेहूं की नई उन्नत किस्म- देश में रबी सीजन चल रहा है। किसान भाई गेहूं की खेती की बुआई काफी जोरों से चल रही है। लेकिन गेहूं की खेती करने मे किसान भाइयों को पानी की समस्या को लेकर ज्यादा सामना करना पड़ता है। देश के उत्तर पश्चिमी राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश,पश्चिमी हरियाणा जैसे क्षेत्र मे गेहूं की सिंचाई करने के लिए पानी की काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण किसान गेहूं की अच्छी पैदावार नहीं कर पाते हैं। इन सभी समस्या का समाधान देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र नई प्रकार कृषि अनुसंधान केंद्र के द्वारा अधिक उपज देने वाली और रोग मुक्त क़िस्में विकसित कर रही है।गेहूं की DBW-296 एक ऐसी किस्म है जिसमे कम पानी मे अधिक मात्रा मे गेहूँ की पैदावाप होता है। साथ ही साथ यह किस्म मात्र 150 -160 दिनों तैयार भी हो जाती है। यह किस्म अन्य किस्मो कि चुलना मे ज्यादा उत्पादन देती है। भारत मे कई मैदानी इलाको मे कई किस्मो जब अन्तिम अवधि मे रोग लगने लगते है तथा जब हीट स्ट्रैस होता है जब गेहूँ की पैदावार भी कम हो जाती है। लेकिन गेहूं की डी.बी.डब्ल्यू.–296 किस्म की बुआई करके आप अच्छी पैदावरा कर सकते है।
गेहूं की नई उन्नत किस्म – गेहूं की DBW-296 किस्म की खेती कैसे करें?
उत्तरी पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के किसान भाइयों के लिए यह किस्म बहुत ही उपयुक्त मानी गई है। किसान भाइयों को इस किस्म की बुवाई नवंबर तक कर देनी चाहिए। इसकी बुआई करने के लिए किसान भाइयों को सीड ड्रिल का उपयोग करना चाहिए। जिससे इसकी पैदावार मे अच्छी हो। गेहँ के बीच की पंक्तियों की दूरी लगभग 20 से 25 सेमी रखनी चाहिए। किसान भाइयों को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 100 किलोग्राम तक के बीज की बुवाई करनी चाहिए। इस किस्म को सिंचाई की केवल एक बार जरूरत होती है। लेकिन बुवाई करने से पहले खेत की सिंचाई हुई रहनी चाहिए। इसके के बाद बुआई करने के 45 से 55 दिनों के अंदर आप सिचाई कर सकते हैं।
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गेहूं की DBW-296 किस्म मे बीज का उपचार
- वैसे तो इस गेहूं की किस्में को बहुत ही रोग प्रतिरोधक मानी जाती है। लेकिन कभी-कभी कवकनाशी रोग लग जाते हैं। जिसके बचाव के लिए किसान भाइयों को कार्बोक्सिन 35.9 प्रतिशत + थीरम 35.9 प्रतिशत) / 1-2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचार करना चाहिए।
- सिमित सिंचाई के अंतर्गत सर्वश्रेठ प्रदर्शन 80:50:30 किलोग्राम एनपीके/हेक्टेयर प्रयोग द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुआई के समय तथाबची हुई आधी मात्रा 40 से 50 दिन दे देनी चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण कैसे करें
- किसी भी फसल में अच्छी पैदावार करने के लिए खरपतवार का नियंत्रण बहुत ही जरूरी होता है। अगर आप सही समय पर खरपतवार को नहीं नियंत्रण करेंगे तो उसका सीधा असर पैदावार पर पड़ेगा। खेत में चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए किसान भाई 2,4-डी/500 ग्राम/हैक्टेयर या मेट्सल्फूराँन 4 ग्राम/हेक्टेयर या कारफेंट्राजोन/20 ग्राम/हेक्टेयर लगभग 300 लीटर पानी/हेक्टेयर छिड़काव कर सकते हैं।
- तथा अगर आप के खेत में संकरी पत्तियों वाले घास ने प्रकोप फैला दिया है। तो उसके लिए किसान भाई इसका आइसोप्रोट्यूराँन /1000 ग्राम/हेक्टेयर या क्लाँडिनाफाँस /60 ग्राम/हेक्टेयर, पिनेक्सोडेन/50 ग्राम/हेक्टेयर या फिनोक्साप्रोप/100 ग्राम/हेक्टेयर सल्फोसल्फ्यूराँन/25 ग्राम प्रति हेक्टेयर फिनोक्साप्रोप/100 ग्राम/हैक्टेयर उपयोग करके छिड़काव कर सकते हैं बुवाई के लगभग 35 से 40 दिनों बाद खेत मे नमी होने के बाद ही इन सभी का प्रयोग करना चाहिए।
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कीट और रोग नियंत्रण कैसे करें
- अगर इस प्रकार की किस्में कभी भी पीला, भूरा तना, रतुआ या कोई अन्य रोग लग जाये। तो इन सभी रोगों से बचने के लिए आपको करनाल बंट और पाउडरी मिल्ड्यू की प्रारंभिक अवस्था दिखने पर रोगों के नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजोल/ट्रायडेमेफोन/ टेबुकानाजोल/0.1 प्रतिशत (1 मिली./लीटर) की दर से छिड़काव करना चाहिए।
DBW-296 किस्म से कितनी पैदावार होती है?
- उत्तर-पश्चिम भारत में बोई जाने वाली यह किस्म सिंचाई के सीमित संसाधनों के तहत अखिल भारतीय समन्वय बहुस्थान ने अपने 3 वर्षों के निरीक्षण में पाया की इसकी पैदावार पहले की तुलना में काफी अधिक हुई है। DBW-296 की लगभग अधिकतम उपज 82-83.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वहीं अगर इसकी समय से ना बुआई हुआ हो और सीमित सिंचाई की स्थिति में भी यह 55-56.1 क्विंटल हेक्टेयर के का उपज आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
FAQ :
Q : गेहूं की नई किस्म कौन सी है?
Ans : गेहूं की नई किस्म DBW-296 है जो राजस्थान, उत्तर प्रदेश,पश्चिमी हरियाणा जैसे क्षेत्र के लिए अच्छा माना गया है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 57.5 से 79. 60 क्विंटल तक पैदावार होती है।
Q : DBW-296 गेहूं कितने दिन में तैयार होता है?
Ans : DBW-296 गेहूं की पकने की अवधि उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में 150 -160 दिन हैं। इस किस्म की बुवाई से औसत उपज 57.5 से 79. 60 क्विंटल तक पैदावार होती है।
Q : कम पानी मे होने वाला गेहूं कौन सा हैं?
Ans : एचआई -8823, DBW-296, जैसी किस्मे के कम सिंचाई वाली किस्म है. ये 1 से 2 सिंचाई में ही पककर तैयार हो जाती है।
Q : गेहूँ की पहली सिचाई कब करें?
Ans : इस किस्म को सिंचाई की केवल एक बार जरूरत होती है। लेकिन बुवाई करने से पहले खेत की सिंचाई हुई रहनी चाहिए। इसके के बाद बुआई करने के 45 से 55 दिनों के अंदर आप सिचाई कर सकते हैं।