गन्ने का उत्पादन डबल करना है तो गन्ने की यह पांच टॉप किस्म को बोना है, रोग मुक्त किस्त – गन्ने की खेती लंबे समय से भारतीय कृषि की आधारशिला रही है, जो किसानों को पर्याप्त मुनाफा देती है। हालाँकि, इस उद्यम में सफल होने के लिए, विशेष रूप से भारत के अपेक्षाकृत कम गन्ना उत्पादन को देखते हुए, नवीन और पारंपरिक गन्ने की किस्मों को चुनना महत्वपूर्ण है।
गन्ने की खेती का महत्व
गन्ने की खेती भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो मुख्य रूप से चीनी उत्पादन से प्रेरित है, एक ऐसा क्षेत्र जहां भारत दुनिया के अग्रणी उत्पादकों में से एक है। गन्ने की खेती का समय महत्वपूर्ण है, शरद ऋतु रोपण के लिए आदर्श मौसम है। हम आपको गन्ने की कुछ बेहतरीन किस्मों से परिचित कराएंगे, उनके विशिष्ट गुणों और फायदों का खुलासा करेंगे।
गन्ने की उन्नत किस्मों का अनावरण
1. CO-0238 (करण-4)
- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में विकसित और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।
- प्रति एकड़ 32.5 टन की प्रभावशाली उपज क्षमता का दावा करता है।
- 12% से अधिक की रिकवरी दर हासिल की।
- पानी की कमी और जलभराव वाले क्षेत्रों में भी पनपता है।
2. CO-0118 (करन-2)
- अपनी बेहतर रस गुणवत्ता से प्रतिष्ठित।
- लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधी।
- पंजाब के 70% किसानों ने इसे अपनाया है, जो अधिक पैदावार और बेहतर रिकवरी दर का आनंद लेते हैं।
3. CO-0124 (करन-5)
- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में खेती के लिए स्वीकृत।
- प्रति एकड़ 30 टन की उपज क्षमता प्रदान करता है।
- इसका आकार बेलनाकार है और यह जलभराव और बाढ़ की स्थिति में लचीलापन प्रदर्शित करता है।
4. CO-0237 (करन-8)
- लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता और जलभराव के प्रति सहनशीलता प्रदर्शित करता है।
- प्रति एकड़ औसतन 28.5 टन उपज होती है।
- हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में खेती की जाती है।
5. CO-05011 (करन-9)
- प्रति एकड़ 34 टन की औसत उपज का दावा करता है।
- लाल सड़न एवं झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी।
- हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में व्यापक रूप से खेती की जाती है।
गन्ने की इन उन्नत किस्मों को चुनकर किसान अपनी पैदावार और मुनाफा काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, गन्ने की खेती की सफलता के लिए समय पर बुआई अनिवार्य है, और खराब फसलों के जोखिम को कम करने के लिए उपयुक्त उत्तराधिकारी किस्मों का चयन करना आवश्यक है।
गन्ने की खेती के फायदे
गन्ने की खेती से कई फायदे मिलते हैं:
- आकर्षक लाभ स्रोत: गन्ने की खेती मुनाफा कमाने का एक विश्वसनीय अवसर प्रस्तुत करती है।
- चीनी उत्पादन को बढ़ावा देना: भारत का गन्ना उद्योग वैश्विक स्तर पर चीनी उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- अधिक रिकवरी और उपज: गन्ने की उन्नत किस्में रिकवरी और समग्र फसल उपज के मामले में बेहतर परिणाम देती हैं।
- इन कारणों से, गन्ने की खेती किसानों के लिए एक आकर्षक और लाभदायक विकल्प बनी हुई है।
गन्ने की खेती पर विशेषज्ञ का राय
गन्ने की सफल खेती सुनिश्चित करने के लिए, निम्नलिखित विशेषज्ञ युक्तियों पर विचार करें:
- गन्ने की बुआई की आदर्श अवधि 15 सितम्बर से 30 नवम्बर तक है।
- अधिक पैदावार के लिए उन्नत किस्मों को प्राथमिकता दें और बीजों की उपलब्धता की जाँच करें।
- पानी की कमी या जलभराव से प्रभावित क्षेत्रों से निपटते समय पानी पर निर्भर किस्मों का चयन करें।
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FAQs
1.) गन्ना बोने का सबसे अच्छा समय कब है?
Ans:- गन्ने का उत्पादन अच्छा प्राप्त करने के लिए बोने का सर्वोत्तम समय 15 सितम्बर से 30 नवम्बर तक है।
2.) गन्ने की खेती के प्रमुख लाभ क्या हैं?
Ans:- गन्ने की खेती आकर्षक मुनाफा देती है, चीनी उत्पादन बढ़ाने में योगदान देती है, और उच्च रिकवरी और उपज प्रदान करती है।
3.) गन्ने की कौन सी किस्म लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधी है?
Ans:- CO-0118 (करन-2) को लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है।
4.) CO-0238 (करन-4) गन्ने की किस्मों की खेती मुख्य रूप से कहाँ की जाती है?
Ans:- CO-0238 (करन-4) उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में व्यापक रूप से उगाया जाता है।
5.) खेती के लिए गन्ने की किस्मों का चयन करते समय किसानों को क्या प्राथमिकता देनी चाहिए?
Ans:- किसानों को पानी की कमी और जलभराव जैसे कारकों पर विचार करते हुए बेहतर पैदावार और लाभप्रदता के लिए उन्नत किस्मों को प्राथमिकता देनी चाहिए।