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सौंफ़, एक सुगंधित और स्वादिष्ट मसाला है जो, पूरे भारत में खाद्य संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। इस बहुमुखी जड़ी-बूटी का उपयोग विभिन्न व्यंजनों, मिठाइयों, चाय, डिकॉन्गेस्टेंट और दवाओं में किया जाता है।
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– सौंफ की सफल खेती के लिए विशिष्ट पर्यावरणीय और कृषि संबंधी परिस्थितियों को पूरा करना होगा। मिट्टी अत्यधिक उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली और सिंचाई प्रणाली के साथ उर्वर जलवायु वाली होनी चाहिए। – सौंफ दिन के दौरान उच्च सूर्य तापमान में पनपती है और इसके लिए रात के न्यूनतम तापमान की आवश्यकता होती है।
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सौंफ के बीज, पत्ते और पूरा पौधा उपयोगी होते हैं और इससे निकलने वाले तेल का व्यापक औषधीय उपयोग होता है। अपने बहुमुखी अनुप्रयोगों के कारण, सौंफ की खेती किसानों के लिए एक आकर्षक और लाभदायक व्यवसाय के रुप मे भी किया जाता है।
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सर्वोत्तम उपज के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सौंफ के बीज का चयन करना महत्वपूर्ण है। किसान अपनी पसंद और बाजार की मांग के आधार पर मीठी या कड़वी सौंफ किस्मों के बीच चयन कर सकते हैं।
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सौंफ़ की खेती करने के लिए किसान को जिस खेत मे सौफ की बुआई करनी है उसकी उपयुक्त मिट्टी का चयन महत्वपूर्ण है। मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर और पौधे की वृद्धि के लिए उपयुक्त होनी चाहिए।
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सौंफ के बीजों को सही समय पर बुआई करना जरुरी होता है, आमतौर पर फरवरी और मार्च के बीच बुआई करें, ताकि उनकी विकास क्षमता अधिकतम हो सके।
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एक हेक्टेयर भूमि पर सौंफ़ की खेती की लागत लगभग 80 हजार रुपये होने का अनुमान है 1 की खेती करके किसान औसतन 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त कर सकते हैं।
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