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गेहूं में लग रहे हैं महुआ रोग, फसल हो रही है पीली, तुरंत करें इस दवा का छिड़काव

सभी किसान भाइयों को मेरा नमस्कार, किसान भाइयों इस समय आप अपने खेत के देखभाल अच्छे करें। क्योकि महुआ रोग इसी समय लगता है। अगर ने जरा सी लापरवाही की तो आपका फसल खराब हो सकता है। अगर आपके फसल में कहीं भी पीला पड़ता दिखाई दे रहा है। तो मतलब आपके फसल में महुआ रोग लगना शुरु हो चुका है। आइए जानते हैं आपको कौन सी दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए जिससे इस रोग से बचा जा सके।

कृषि विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बदलते मौसम के कारण गेहूं के फसलों की जड़ों में महुआ कीटव्याधी की समस्या सामने आ रही है। राज्यो के कई जिलों में कई हेक्टेयर फसल में इसकी समस्या देखने के बाद कृषि विभाग की टीम ने कई खेतों का निरीक्षण भी किया है। तथा अधिकारियों ने ग्राम स्तर पर कई अभियान भी चला रखा है। जिससे इस बीमारी से बचाने में किसानों की मदद किया जा सके।

किसान भाइयों आपको बता दें कि यह रोग पिछले 2 सालों से किसानों की फसलों में समस्या डाल रहा है। इससे पहले यह केवल चना सोयाबीन जैसी ही फसलों में देखा जाता था। लेकिन अब बदलते मौसम के कारण यह रोग और अन्य फसलों में भी लगने लगा है। किसान भाइयों को कौन सी कौन सी दवाई का छिड़काव इस रोग के लिए करना चाहिए। आइए जानते हैं विशेषज्ञ ने क्या कहा?

माहू कीट की समस्या का कैसे पता लगा

बीते कई दिनों में कृषि विभाग के अधिकारियों ने कई जिलो के गांवों का भ्रमण करके गेहूं की फसलों का निरीक्षण किया। जिसके दौरान ही अधिकारियों को गेहूं की फसल की जड़ों में माहू कीट की समस्या सामने आई है। कृषि विभाग के संचालक शिवम सिंह राजपूत ने बताया कि कीटव्याधी की समस्या हम लोगों के सामने आई है। अभी हम लोग इस पर पूरी जांच कर रहे हैं।

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गेहूं जड़ माहू कीट रोग के लक्षण क्या है?

किसान भाइयों गेहूं माहू कीट रोग का लक्षण है कि आपके गेहूं की फसल में हल्का पीला पन आने लगता है। ऊपर की पत्तियां धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। पौधा अंत में पूरा सूख जाता है। प्रारंभिक अवस्था में यह पीला रंग छोटे-छोटे दाग के रूप में दिखाई देता है और फिर धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है।

माहू कीट रोग से बचने के लिए इन दवाओं का करें छिड़काव

  • इस प्रकार की समस्या होने पर आपको कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क बनाकर रखना चाहिए तथा उनसे सलाह लेनी चाहिए।
  • कीट की समस्या पाए जाने पर आपको एसिटामाप्रिड 20 प्रतिशत एसपी 60 ग्राम प्रति एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल की 50 एमएल मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
  • थायोमेथाक्सॉम 25 प्रतिशत डबल्यूजी की 50 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ के साथ एनपीके 19.19.19 एक किलोग्राम प्रति एकड़ का 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं।

आप सभी किसान भाइयों को ये आर्टिकल कैसे लगा और अगर आपकी कोई राय हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें और इस लेख को अधिक से अधिक किसान भाइयों तक शेयर भी ज़रूर करें, धन्यवाद।

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