Join WhatsApp Channel

Join Telegram Group

गेहूं की फसल में लग सकते हैं यह रोग या कीट किसान भाई रहे सतर्क

भारत में रवि की फसल का सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रहता है। रवि की फसल मे गेहूं आता है जो। इस वर्ष 2022-23 लगभग 34 से 35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की गई है। जोकि अगले वर्ष से अधिक है। ऐसे में इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में गेहूं और जौ की पैदावार इस वर्ष बंपर होने वाली है।

भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के द्वारा किसानों के लिए फरवरी माह में सलाह जारी किया गया है। कि वर्तमान समय में मौसम के हिसाब से गेहूं का विकास काफी अनुकूल रहा है। लेकिन अभी मौसम के बदलते समय में फसल में कीट और रोगों के बचाव के लिए किसान भाइयों को ध्यान देने की आवश्यकता है। जिससे अगर कीट या रोग लगते हैं। तो सही समय पर उपचार हो सके और फसल के नुकसान होने से बचाया जा सके। किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने सलाह दिया है। कि वह किस प्रकार से कीट और रोगों की पहचान करेंगे और गेहूं की होने वाली होने वाले नुकसान को बचा सकेंगे।

गेहूँ मे पीला या भूरा रतुआ रोग

संस्था के वैज्ञानिकों ने बताया है। कि उत्तरी पूर्वी मैदानी क्षेत्र एवं पहाड़ी क्षेत्रों जैसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर क्षेत्रों में इस समय गेहूं और पीला रतुआ रोग लगने की संभावना अधिक रहती है। इसमें पीले रंग की धारियां बनती है। और उन्हें छूने से हाथ पर पाउडर जैसा लग जाता है। इस मौसम के अनुसार मध्य भारत में भूरा रतुआ रोग लगने की भी अधिक संभावना होती है। भूरा रतुआ निचली पत्तियों पर नारंगी से भूरे रंग के गोल आकार के रूप में उत्पन्न होता है। जो पंक्तियों की ऊपरी और निचली सतह पर दिखाई देता है। इसीलिए किसान भाइयों को इस समय सलाह दी जा रही है। कि वह इन सभी रोगो से बचने के लिए खेत पर कड़ी निगरानी रखें और अगर इस प्रकार के रोग दिखते हैं। तो उनका सही समय पर उपचार करें।

पीला या भूरा रतुआ रोग का उपचार कैसे करें

किसान भाइयों अगर आपके गेहूं की फसल में पीला या भूरा रतुआ रोग दिखाई देता है। तो आप उस क्षेत्र में प्रोपिकानाजोल 0.1% या टेबुकोनाजोल 50% ट्राइफ़्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25% प्रति 0.06% का छिड़काव करें। अगर प्रकोप अधिक बढ़ गया है तो 15 दिन बाद दोबारा से इसका छिड़काव करके इस रोग को खत्म कर सकते हैं और अपनी फसल से अच्छा पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

Read More:-

 

गेहूं में माहूँ या चेपा रोग और नियंत्रण

जिन किसान भाइयों ने गेहूं की अगेती बुआई की है। उनके फसल में इस समय गेहूं में बालियां निकल रही होंगी और वही पत्तियों में महुआ रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए किसान भाइयों को अपने खेत की निगरानी लगातार रखनी चाहिए। अगर आप के खेत में त्ती माहूँ का रोग लग गया है या उनकी संख्या अधिक दिख रहे हैं ई.टी.एल. 10-15 माहूँ/ टिलर) को पार करती है, तब क्यूनालफोस 25 प्रतिशत ई.सी. नामक दवा की 400 मि.ली. मात्रा 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं। इस रोग को नियंत्रण कर सकते हैं। जिससे आप की पैदावार में कमी ना आये।

आज के इस महत्वपूर्ण आर्टिकल को लेकर आप सभी का कोई भी सावल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स मेंं ज़रूर लिखें और आर्टिकल कैसा लगा ये भी ज़रूर बताएं। इस लेख सभी किसान भाइयों तक शेयर ज़रूर करें, धन्यवाद।

WhatsApp Group Join Now

Telegram Group Join Now

Leave a Comment