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चने की खेती : ‘पूसा जेजी 16′ किस्म मे कम पानी मे बंम्पर उत्पादन

चने की खेती करने वाले किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने नई किस्म ‘पूसा जेजी 16′ चने की खोज किया है। ‘पूसा जेजी 16′ यह किस्म सूखा ग्रस्त क्षेत्र में भी बहुत ही जबरदस्त उत्पादन देगी। भारत में चने की खेती पूरे विश्व में सबसे ज्यादा की जाती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चना उत्पादक देश भी है। इसकी बाजार में मांग हमेशा बनी रहती है। अन्य फसलों की अपेक्षा इसके भाव बाजार मे अच्छे मिलते हैं।

चना हम सभी के लिए बहुत ही लाभकारी खाद्य पदार्थ है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। वहीं केंद्र सरकार लगातार किसान भाइयों को दलहनी फसलों के उत्पादन पर जोर दे रही हैं। जिससे भारत के किसान आत्मनिर्भर बन सके। सरकार के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिकों ने भी किसानों को नई-नई तकनीकी और नई किस्मो को खोज करके किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस किस्म के खोज होने के बाद अब कम पानी और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भी चने की बंपर उत्पादन हो सकेगा।

आईसीएआर द्वारा विकसित चाने की नई किस्म ‘पूसा जेजी 16’

भारत में चने की खेती रबी सीजन में होता है। रवि का सीजन सर्दी के मौसम में आता है। वैज्ञानिकों ने काबुली चने की इस नई किस्म की खोज की है जिसका नाम G.J.16 रखा गया है। बता दें कि यह किस्म राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात में जहां कम पानी वाले क्षेत्र है वहाँ आसानी से बंपर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने इस बात का भी दावा किया है कि किसान इस किस्म से सूखा प्रभावित क्षेत्र में 1 से 2 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। साथी साथ कृषि वैज्ञानिकों ने J.G.16 में ICC 4958 विविधता को जीनोमिक सहायक प्रजनन तकनीकों का उपयोग करके यह नई किस्म विकसित की है।

सूखा ग्रस्तक्षेत्र मे भी बंपर उत्पादन

G.J. 16 काबुली चने की नई किस्में खोज होने के बाद अब सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भी अच्छा खासा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसके सूखे के कारण इन क्षेत्रों में लगभग 80 परसेंट तक नुकसान होता था। लेकिन अब किसानों को इस समस्या का समाधान मिल गया है। G.J. 16 किस्म की चने की खेती करें कम सिचाई के भी बंपर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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‘पूसा जेजी 16’ की विशेषताएं

  • ‘पूसा जेजी 16’ सूखे क्षेत्रों में भी बंपर उत्पादन देगा।
  • इसकी औसत पैदावार सूखा प्रभावित क्षेत्र में 1 से 2 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
  • देश के मध्य के इलाकों नमी की कम उपलब्धता की स्थिति में यह ‘पूसा जेजी 16’ से करीब 15 फीसदी अधिक पैदावार देती है।
  • यह किस्म लगभग 112-120 दिन में तैयार हो जाती है।
  • यह किस्म गुजरात और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराट्र, के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए अच्छा उपयुक्त है।

इस किस्म की चने की होगी हार्वेस्टर से कटाई

कृषि वैज्ञानिकों ने चने की कटाई को लेकर होने वाली समस्या का समाधान निकाला है। वैज्ञानिको ने एक नई किस्म की खोज की है। जिसका नाम जवाहर चना 24 किस्म है। इसके पौधे काफी लंबे होते हैं और उत्पादन भी अच्छा होता है। इस किस्म के चने के पेड़ को हार्वेस्टर से भी कटाई की जा सकती है। जिसमें किसानों का समय और श्रम दोनों बचेगा। इसके पहले जो भी किस्म थी उसमें चने के पौधे छोटे होते थे। जिसके कारण चने के पेड़ को हार्वेस्टर से कटाई नहीं हो पाती थी और किसानों का काफी समय कटाई में लग जाता था।

चने की अन्य उन्नत किस्में 2023

चने की अन्य उन्नत किस्मों में  पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए गुजरात चना-4, डब्लूसीजी-1, डब्लूसीजी-2, केडीजी-1168, जेपी-14, जीएनजी-1581, पूसा-256, केडब्लूआर-108, डीसीपी 92-3,संस्तुत प्रजाति एचके-94-134 पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए पूसा-1003 आदि।

चने की खेती करते समय ध्यान रखने वाली बातें

  • जल निकास वाली उपजाऊ भूमि का चयन करें।
  • खेत को एक या दो जुताई करना अच्छा रहता है।
  • बुवाई से पहले अधिक गहरी जुताई नहीं करना चाहिए।
  • असिंचित क्षेत्रों में 10 से 12 किलो नाइट्रोजन और 25 से 30 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर डाले।
  • सिंचित क्षेत्र  20 से 25 किलो नाइट्रोजन और 40 से 42 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर 12-15 सेमी की गहराई पर डालना चाहिए।
  • पहली सिंचाई  बुवाई के 45-60 दिन बाद फूल आने से पहले तथा दूसरी फलियों में दाना बनते समय की जानी चाहिए।

FAQ

प्रश्न- चने की खेती किस सीजन मे की जाती है?

उत्तर –चने की खेती रवी सीजन मे की जाती है।

प्रश्न- चने की खेती मे पहली सिचाई कब की जाती है?

उत्तर – चना की खेती मे पहली सिंचाई बुवाई के 45-60 दिन  दूसरी फलियाँ आते समय करना चाहिए।

प्रश्न- 1 बीघा मे कितना चना बोना चाहिए?

उत्तर – 1 बीघा मे लगभग 18 से 20 किलो चना बोना चाहिए।

प्रश्न- चने की खेती मे कितना खाद देना चाहिए?

उत्तर – असिंचित क्षेत्रों में 10 से 12 किलो नाइट्रोजन और 25 से 30 किलो फास्फोरस तथा सिंचित क्षेत्र  20 से 25 किलो नाइट्रोजन और 40 से 42 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर डाले।

प्रश्न- चने मे यूरिया खाद का प्रयोग कब करें ?

उत्तर – चने की खेती मे यूरिया खाद का प्रयोग केवल एक बार करना चाहिए। बुवाई करते समय ही यूरिया खाद का प्रयोग करना चाहिए।

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