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सरसों की खेती कैसे करें, इन बातों का रखें ध्यान तो नहीं होगा नुकसान

सरसों की खेती कैसे करें – भारत में इस समय रवि का सीजन चल रहा है और किसान भाई रवि की सभी फसलों की बुवाई काफी तेजी से कर रहे हैं। वहीं कई किसान गेहूं और सरसों की बुवाई भी लगभग कर चुके हैं। ऐसे में किसान भाइयों को सरसों की खेती में क्या ध्यान रखने वाली बात है। जिससे कि वह अपनी फसल में होने वाले नुकसान को बचा सके और अच्छा पैदावार प्राप्त कर सकें। आज हम इस लेख के माध्यम से सरसों की खेती कैसे करे। बुवाई से लेकर कटाई तक संपूर्ण जानकारी आपको देने वाले हैं। तो कृषि दोस्त के साथ बने रहे।

सरसों की खेती के लिए भूमि

किसान भाई किसी भी खेती को करने के लिए भूमि का चुनाव करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। अगर आप सरसों की खेती करना चाहते हैं। तो उसके लिए दोमट या बलुई मिट्टी बहुत ही अच्छी मिट्टी मानी जाती है। खेत के चुनाव मे पानी के निकास की सही व्यवस्था होनी चाहिए।

सरसो की खेती के भूमि को तैयार करना

सरसो की खेती के लिए भूमि का चयन करने के बाद किसान भाइयो आप को भूमि को तैयार करना होगा। इसके लिए प्रत्येक वर्ष फसल को बोने से पहले उसमे ढेचा को हरी खाद खाद के रूप में जाना जाता है। उसको उगाना चाहिए इसके बाद उसको रोटावेटर से खेत में जुताई करा देनी चाहिए। जिससे सड़ने के बाद वह खेत में पोटाश, गंधक, कैल्शियम, मैग्नीशियम तथा तमाम प्रकार के पोषक तत्व प्रदान कर देता है। खेत की पोषक तत्व को बढ़ा देता है।

सरसों की खेती के लिए बीज चयन

खेत को अच्छी तरह से तैयार होने के बाद अब किसान भाई आपको सरसों की उन्नत किस्म के बीजों का भी चयन करना होगा। इस बात का ध्यान रखें कि आप जो भी बीज बो रहे हैं। वह प्रमाणित बीज होना चाहिए। क्योंकि बाजार में सरसों की बहुत सारी किस्मे में चल रही है। जिसके कारण कभी-कभी किसान भाई धोखा खा जाते है। इसलिए आपको प्रमाणित बीज ही लाना है जिससे कि अधिक उत्पादन हो सके और उसमे तेल की मात्रा भी अधिक हो। किसान भाई आप सभी अपने अपने राज्य के हिसाब से किस्म का चयन करें।

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सरसों के बीजों को बोने से पहले क्या करें

सरसों की फसल की उन्नत किस्म के बीज का चयन करने के बाद किसान भाई बीज मे भी कई प्रकार के रोग लगते है। इसलिए बीज बोने से पहले सरसों की बीज में मेटालेक्जिल (एप्रन एस डी-35) 6 ग्राम दवा से उपचारित करना चाहिए। जिससे कि श्वेत किट्ट एवं मृदुरोमिल आसिता रोग से बचा जा सके। बीज को उपचारित करने के बाद उसे छाया में सुखा लेना चाहिए। इसके बाद किसान भाई उस बीज को आप अपने खेत में बुवाई कर सकते है।

सरसों की फसल में कितनी मात्रा खाद का उपयोग करें

सरसों की बंपर उत्पादन के लिए किसान भाई आपको रासायनिक उर्वरकों के साथ आप कंपोस्ट खाद का भी उपयोग करना चाहिए। अगर आपके पास गोबर की सड़ी हुई खाद है। तो खेत की जुताई से पहले उस खाद को पूरी खेत में डाल देना चाहिए। कई क्षेत्रों में बारिश के सीजन में ही उस खेत में गोबर या कंपोस्ट खाद को डाल देते हैं और वह सीजन आते ही खेत को तैयार कर देते है। जिससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। जिसके कारण राई यानी सरसों की भरपूर पैदावार होती है। किसान भाई सरसों की खेती में आप नाइट्रोजन, सल्फर इसके अलावा गंधक जैस रासायनिक खाद का उपयोग कर सकते है।

असिंचित और सिंचित क्षेत्रों में उर्वरक का प्रयोग

भारत देश में जलवायु परिवर्तन के कारण हर जगह खेती बाड़ी करना अलग-अलग होता है। असिंचित ओर सिंचित क्षेत्रों में सरसों की खेती करने के लिए अलग-अलग प्रकार से उर्वरक की मात्रा निर्धारित की गई है जो नीचे दिया गया है

सरसों की फसल के लिए असिंचित क्षेत्रों में 35-40 किलो नत्रजन, 20-25 किलो स्फुर, 8-10 किलो पोटश और 10-15 किलोग्राम गंधक का प्रति हेक्टेयर की दर इस्तेमाल कर सकते हैं।

वही सरसों की खेती करने के लिए सिंचित क्षेत्रों में 80-100 किलोग्राम नत्रजन, 45-50 किलोग्राम स्फुर, 20-25 किलोग्राम पोटाश और 30-40 किलोग्राम गंधक का प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते हैं।

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इसकी कमी से सरसों मे कम होती है उपज

सरसों की फसल में उत्पादन में कमी होने के कई और कारण होते हैं जैसे अगर आपके मिट्टी में गंधक तत्वों की कमी है। तो आप सरसों की बंपर पैदावार नहीं कर सकते हैं। इसलिए किसान भाई आपको अपने खेत में लगभग 35-40 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जरूर डालना चाहिए। अगर आप के खेत में अमोनिया सल्फेट, अमोनियम फास्फेट सल्फेट, सुपर फास्फेट जैसे उर्वरकों की कमी है। तो आप जिप्सम या पाइराइट के रूप में गंधक का इस्तेमाल कर सकते हैं और आपने खेत में सरसों की पैदावार को बढ़ा सकते हैं।

सरसों की फसल में सिंचाई कब और कितना करें

अगर किसान भाई आप अपने सरसों की फसल में सही समय पर सिंचाई करते हैं। तो आपकी उत्पादन लगभग 30 से 40 परसेंट बढ़ जाती है। सरसों की फसल में 1-2 सिंचाई ही लगता है। अगर आपने सरसों की बुवाई करने से पहले खेत को नहीं भरा था। तो आप 25 से 30 दिन के अंदर सिंचाई कर सकते हैं। लेकिन अगर आपने सरसों की बुवाई करने से पहले खेत पलेवा दे कर बुवाई की है। तो आप लगभग 50 से 60 दिन के समय अवधि पर आप सिंचाई करनी चाहिए। जिस समय फसल मे हल्का-हल्का कली और फूल आने लगते हैं।

सरसों की फसल मे कीट व रोगों से बचाव

सरसों की फसल में कई प्रकार के रोग लगते हैं। जिसके लिए हमें समय-समय पर उसमें दवाओं का छिड़काव करना बहुत ही जरूरी होता है। सरसों की शुरुआती अवस्था में चितकबरा (पेन्टेड बग) कीट का प्रकोप अधिक होता है। जो छोटे-छोटे पौधे को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। यह पौधे के रस को चूस लेता है और पौधे मर जाते हैं। यह कीट बुवाई की 3 से 4 सप्ताह बाद प्रकोप देखने को मिलता है। अगर आपके खेत में इस कीट का प्रकोप लग गया है। तो आप क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत धूल 15-20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं तथा अगर अधिक प्रकोप हो गया है तो आप मेलाथियान 50 ई.सी. की 500 मि.ली. मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर से छिड़काव कर सकते हैं।

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चेपा या माहू कीट से कैसे बचें

चेपा या माहू यह सरसों के प्रमुख कीट माने जाते हैं। यह दोनों फसल को भारी हानि पहुंचाते हैं। कम तापमान होने के कारण अधिक प्रकोप फैलाते हैं। चेपा युक्त फसल की टहनियों को दो-तीन बार तोड़कर नष्ट कर देने से चेंपा रोग को रोका जा सकता है। वहीं अगर आपके पास नीम की खली है। तो आप 5 से 10 परसेंट पानी के घोल मे मिलाकर छिड़काव करके भी रोक सकते हैं। अधिक प्रकोप लगने पर ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 ई.सी. या डाइमेथोएट 30 ई.सी. 500 मिली लीटर दवा 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

सरसों की फसल की कटाई का सही समय

सरसों की फलियां 75-80% से ज्यादा सुनहरे रंग की हो जाए तब आपको सरसों की फसल की कटाई करनी चाहिए। कटाई करने के बाद आपको उसे सुखाकर और उसके सरसों के बीज को अलग कर देना चाहिए। उसके बाद सरसों के बीज को अच्छी तरह सुखा कर आप को उसे भंडारण करना चाहिए। जिससे सरसों में नमी की मात्रा ना रह जाए।

सरसों की फसल मे होने वाला उत्पादन

अगर किसान भाई आप सही तरीके से सरसों की खेती करते हैं। तो अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। असिंचित क्षेत्रों में इसकी पैदावार लगभग 15 से 20 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। वहीं अगर संचित क्षेत्रों में देखा जाए तो 20 से 25 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

FAQ :

Q : 1 एकड़ में सरसों कितनी पैदा होती है?

Ans : सिंचित क्षेत्रों में इसकी पैदावार लगभग 15 से 20 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। वहीं अगर संचित क्षेत्रों में देखा जाए तो 20 से 25 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

Q : सरसों की खेती मे कितनी बार पानी देना चाहिए?

Ans : सरसों की फसल में 1-2 सिंचाई ही लगता है। प्रथम सिंचाई 28-35 दिनों बाद फूल आने से पहले करें तथा दूसरी सिंचाई 70-80 दिनों बाद फलियां बनते समय करनी चाहिए।

Q : सरसों की खेती करने का सही समय?

Ans : किसान भाइयों सरसो की फसल रबी के सीजन में बोई जाती है। सरसों की फसल का सही समय10 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर का होता है , लेकिनआप पुरे अक्टूबर महीने तक बुआई कर सकते है।

Q : अधिक पैदावार होनी वाली सरसों कौन सी है?

Ans : सरसो की अधिक पैदावार होनी वाली पूसा सरसों आर एच 30 – सरसों की ये किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों के लिए सबसे बेहतर है।

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