चुकंदर एक सब्जी और फल के रूप में जाना जाता है। जिसका उपयोग लोग कच्चा खाने या इसकी सब्जी के रूप में भी इसका सेवन करते हैं। चुकंदर को मीठी सब्जी के रूप में भी जाना जाता है। क्योंकि इसमें हल्का मीठा पाया जाता है। यह फल जमीन के अंदर पाया जाता है। इसके पत्ते की सब्जियां भी बनाया जाता है। चुकंदर शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है। इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं।
डॉक्टर कई प्रकार के मरीजो को चुकंदर खाने की भी सलाह देते हैं। जैसे खून की कमी, अपच, ह्रदय रोग, गुर्दे की विकास, जैसी बीमारियों को दूर करने में मदद देता है। चुकंदर का अधिक उपयोग लोग जूस और सलाद के के रूप में करते हैं। चुकंदर का बाजार में हमेशा मांग बना रहता है। किसान भाई चुकंदर की खेती करके अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। चुकंदर की खेती कैसे करें इसके बारे में पूरी जानकारी दी जा रही है तथा आपको यह भी बताएंगे कि चुकंदर की कौन-सी उन्नत किस्में आपको अच्छी पैदावार दे सकती है। तो हमारे साथ बने रहे।
चुकंदर की खेती कैसे करें
उपयुक्त मिटटी
किसान भाइयों चुकंदर की खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे आवश्यक माना गया है। इस प्रकार की खेती में जलभराव वाले भूमि मे नहीं किया जा सकता। क्योंकि वहां पर फल के सड़न की समस्या उत्पन्न हो जाती है। चुकंदर की खेती के लिए भूमि का पीएच मान 6:00 से 7:00 के बीच होना चाहिए।
उपयुक्त जलवायु और तापमान
चुकंदर की खेती के लिए सर्दियों का मौसम सबसे उपयुक्त माना गया है। इसके पौधे का विकास इस मौसम में काफी तेजी से होता है। चुकंदर की खेती बारिश के मौसम में करना बहुत ही मुश्किल होता है। क्योंकि उस समय इसमे सड़न की समस्या ज्यादा आती है। चुकंदर के पौधे को सामान्य तापमान के रूप में 20 डिग्री तक जरूरत होती है।
खेत की तैयारी
चुकंदर की खेती करने के लिए आपको अच्छे तरीके से खेत को तैयार करना होगा। इसके लिए खेत की पहली गहरी जुताई कर देनी चाहिए। इसके बाद उसे कुछ समय के लिए खुला छोड़ दें। जब खेत में धूप लग जाए । उसमे जैविक खाद डालकर दोबारा से खेत की जुताई करा दें। चुकंदर के पौधे भूमि की सतह पर रहकर ही विकास करते हैं। जिसके कारण उनकी जड़े गहराई में खनिज पदार्थों को ग्रहण नहीं कर पाते हैं। इसलिए आपको उर्वरक की मात्रा अच्छे से देनी चाहिए।
इसके बाद आपको खेत में पानी लगा कर पलेव कर देना चाहिए। इसके बाद 6 से 7 दिनों तक उसे छोड़ दें। जब खेत की मिट्टी ऊपर से थोड़ी सूखी दिखाई देंने लगें। तब उसमें कल्टीवेटर के माध्यम से जुताई करा दें। अब इसके बाद उस पर पाटा लगाकर समतल करें दें। जिससे कि जलभराव की समस्या ना हो। खेत में चुकंदर लगाने के लिए आपको मेड़ को तैयार कर लेना चाहिए। मेड़ बनाते समय आपको नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, की मात्रा के हिसाब से डाल देनी चाहिए।
इसे भी पढ़े:-
चुकंदर की बीज हाइब्रिड
एम. एस. एच. – 102 किस्म
चुकंदर की यह एक उन्नत किस्में है। इसके पौधे मात्र 3 महीने में ही तैयार हो जाते हैं। इसमें चुकंदर की बहुत अधिक पैदावार होती है। प्रति हेक्टेयर लगभग 250 कुंटल का उत्पादन देती है।
क्रिमसन ग्लोब किस्म
चुकंदर की यह किस्म सबसे कम समय में पैदा देने वाली किस्म के रूप में जानी जाती है। इसका फल मात्र 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाता है।यह प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 300 से अधिक पैदावार देने की क्षमता रखता है। इसके पौधे का रंग बाहर और अन्दर से हल्का लाल होता है।
चुकंदर की कई अन्य किस्मे जैसे अर्ली वंडर, रोमनस्काया, डेट्रॉइट डार्क रेड, मिश्र की क्रॉस्बी किस्मे है जो अच्छा पैदावार देती है।
चुकंदर की खेत मे रोपाई का सही समय और तरीका
चुकंदर की खेती आपको सर्दीयो के मौसम में करना चाहिए। क्योंकि इस फसल के लिए यह मौसम उपयुक्त माना गया है। इसके बीजों की रोपाई आपको अक्टूबर और नवंबर महीने में करना चाहिए। बीज की रोपाई करने के लिए आपको चुकंदर की उन्नत किस्मों खरीदकर लाना चाहिए। खरीदने से पहले आपको उसका उपचारित कर ले की उस पौधे में रोग लगने का खतरा कम हो। एक हेक्टेयर में लगभग 8 किलो बीज की जरुरत होती है।
चुकंदर के बीज की मेड़ो के दोनों बोया जा सकता है। समतल खेत में आपको क्यारियों के रूप में मेड़ को तैयार कर लेना चाहिए और क्यारियों के बीच की दूरी 1 फिट रखना चाहिए तथा प्रत्येक बीज के बीज की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज का रोपण करना चाहिए। आप इसके बीजों को केवल मेंड़ पर ही करें। जिससे अच्छी पैदावार मिल सके।
चुकंदर की खेती मे सिंचाई का सही समय
चुकंदर के खेत अगर नमी की कमी हो तो आपको बीजों की रोपाई करने के बाद इसकी पहली सिंचाई कर देनी चाहिए। जिससे इसके बीज अंकुरण में किसी भी प्रकार की कोई समस्या ना सके। इस बात का ध्यान रखें कि जलभराव की स्थिति से बचने के लिए आपको 10 से 15 दिनों के बाद ही सिंचाई करना है।
चुकंदर की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण
चुकंदर की खेती में आपको खरपतवार का नियंत्रण करना बहुत ही जरूरी होता है। नहीं तो यह आपके उत्पादन को कम कर देता है। खरपतवार नियंत्रण करने के लिए आप रासायनिक और प्राकृतिक विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं। रासायनिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण करने के लिए आपको पेंडीमेथिलीन का उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए। रोपाई के तुरंत बाद छिड़काव करना चाहिए। आप प्राकृतिक विधि से भी नियंत्रण कर सकते है। उसके लिए आपको 15 से 20 दिनों में इसकी निराई-गुड़ाई कर देना चाहिए तथा इसके साथ ही साथ आपको समय समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।
चुकंदर की खेती मे रोग और उनकी रोकथाम
चुकंदर की खेती मे बहुत कम रोग लगते हैं। परंतु अगर कुछ रोग लग जाते है तो नीचे बताये गये दवा का छिड़काव करके बचाव भी किया जा सकता है।
कीट आक्रमण रोग
चुकंदर के पौधे पर सबसे अधिक आक्रमण करने कीट, कीट आक्रमण रोग है। यह कीट लार्वा पौधे की पत्तियों को खाकर उसको नष्ट कर देता है। इस रोग के बढ़ने के कारण पैदावार घट जाती है। इसके रोकथाम के लिए मैलाथियान या एंडोसल्फान की उचित मात्रा में छिड़काव करके समाप्त किया जा सकता है।
लीफ स्पॉट रोग
चुकंदर के पौधे पर लीफ स्पॉट रोग का प्रभाव भी अधिक देखा गया है। इसके रोग लग जाने से पत्तियाँ भूरे रंग की दिखाई देने लगती हैं। इस रोग से फल की वृद्धि में प्रभावित करता है। इस रोग से बचने के लिए पौधे पर एग्रीमाइसीन की उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए।
इसे भी पढ़े:-
चुकंदर की खुदाई करने का सही तरीका
चुकंदर की खेती करने पर इसके पौधे 3 से 4 महीने के अंदर तैयार हो जाते हैं। इसके बाद उसके फल पकने लगते हैं। पौधे की पत्तियां हल्के पीले रंग की दिखाई देने लगती हैं। उसके बाद आपको फल की खुदाई कर लेनी चाहिए। फलों की खुदाई करने से पहले आपको खेत मे थोड़ा पानी लगा देना चाहिए। जिससे जमीन में निकालने में आसानी हो। फलों की खुदाई अच्छे से करने के बाद उसके मिट्टी को साफ कर लेना चाहिए। इसके बाद उसे छायादार जगह पर रखकर बाजार में बेचने के लिए ले जाना चाहिए।
चुकंदर की पैदावार और लाभ
चुकंदर की सही से खेती करने पर और अच्छी प्रकार की किस्म को लागने पर प्रति हेक्टेयर लगभग 200 से 300 क्विंटल की पैदावार मिलती है। अगर चुकंदर के बाजार में भाव की बात करें तो इसके भाव लगभग 20 से 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से रहते हैं। इस हिसाब से अगर देखा जाए तो एक हेक्टेयर में आप 2 से 3 महीने के अंदर 2 से 3 लाख रुपये तक की अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।
आज के इस महत्वपूर्ण आर्टिकल को लेकर आप सभी का कोई भी सावल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स मेंं ज़रूर लिखें और आर्टिकल कैसा लगा ये भी ज़रूर बताएं। इस लेख सभी किसान भाइयों तक शेयर ज़रूर करें, धन्यवाद।