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फरवरी महीने में करें इन सब्जियो की खेती होगी लाखों की कमाई

किसान भाइयों के लिए फरवरी का महीना जायद की फसलों की बुवाई करने का महीना माना जाता है। इसकी बुवाई मार्च तक चलती है। इस समय में कुछ ऐसी सब्जियां और फसल होती हैं। जिसकी पैदावार करके किसान भाई अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इस मौसम में आम तौर पर ककड़ी, करेला, लौकी, तरोई, पेठा, पालक, बैंगन, भिंडी, नेनुआ जैसी सब्जियों की खेती की जाती है। आज हम आपको इन्हीं में से कुछ महत्वपूर्ण सब्जियों की खेती बताएंगे। जिसको करके आप लाखों की कमाई कर सकते हैं

खीरा का खेती

खीरे की खेती इसी महीने मे किया जाता है। यह मौसम खीरे के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। खीरे की बुवाई करने के लिए आपको खेत में क्यारियां बना लेनी चाहिए। इसकी बुआई लाइन से ही करना चाहिए और लाइन के बीच की दूरियां 1 से 2 मीटर के बीच में रखना चाहिए तथा पौधे के बीच की दूरी 1 मीटर रखना चाहिए। बुवाई करने के बाद 20 से 25 दिनों के बाद आपको निराई गुड़ाई करना चाहिए। जिससे खरपतवार नियंत्रण रह सके तथा आपको हर सप्ताह में हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। इससे आप खीरे की अच्छी उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

ककड़ी की खेती

ककड़ी की मांग बाजार में गर्मियों के सीजन में अधिक रहता है। फरवरी का समय बुवाई के लिए उचित समय माना जाता है। फरवरी और मार्च में इसकी बुवाई की जाती है। ककड़ी की बुवाई 1 हैक्टेयर में करने के लिए 1 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। यह लगभग हर प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। खेत को तैयार करने के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद डालने के बाद दो से तीन बार अच्छे से जुताई करना चाहिए तथा इसकी बुवाई करने के लिए 2 मीटर चौड़ी क्यारियों में नाली के किनारे-किनारे पर पौधे का बोना चाहिए और पौधे के बीच में 60 सेंटीमीटर की जगह रखना चाहिए। ककड़ी की खेती की पुरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

करेला की खेती

करेला एक ऐसी सब्जी है जिसका मांग बाजार में हमेशा रखता है क्योंकि करेला हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। किसान भाई करेले की दो तरीके से बुआई करते हैं। पहला बीज से और दूसरा पौधे के रूप में। करेला की बुवाई करने से पहले उसके बीज को 24 घंटे पहले पानी में भिगो देना चाहिए। जिससे करेला बुवाई करने के बाद जल्दी अंकुरण हो। करेले की खेती नदियों के किनारे बढ़िया मानी जाती है। क्योंकि वहां पर कुछ अम्लीय भूमि होती है। करेले की खेती के लिए खेत तैयार करने के लिए पहले आपको हल से जुताई करना चाहिए इसके बाद दो से तीन बार रोटावेटर से जुताई करना चाहिए।

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लौकी की खेती

लौकी की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मिट्टी मानी जाती है। वैसे तो इसे किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है। लौकी की खेती करने के लिए 4 से 5 किलोग्राम बीज एक हेक्टेयर में लगता है। बीज की बुआई करने से पहले आपको 24 घंटे पहले उसे पानी में भिगो देना है। इसके बाद उसकी बुवाई करनी होती है। जिससे कि बीज को बोने के बाद उसका अनुकरण जल्दी हो। लौकी के बीजों के लिए 2 से 3 मीटर की दूरी पर 50 सेंटीमीटर चौड़ी और 20 सेंटीमीटर गहरी नारियां बना लेनी चाहिए। इन नालियों के दोनों किनारों पर 75 सेंटीमीटर के बीच में आपको लौकी के बीजों की बुवाई करनी चाहिए। एक जगह पर दो से तीन बीज 4 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं।

भिंडी की खेती

भिंडी की अगेती किस्म फरवरी माह में ही बुवाई की जाती है। इसकी खेती करने के लिए आपको मिट्टी तैयार करना बहुत अच्छे से जरूरी होता है। इसके लिए खेत को दो से तीन बारअच्छे से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और उसे पाटा लगा कर समतल कर देना चाहिए। भिंडी की बुवाई हमेशा कतारों में की जाती है। कतार की दूरी लगभग 25 से 30 सेंटीमीटर और कतार में पौधे की बीच की दूरी 15 से 20 सेमी रखना चाहिए। भिंडी की बुवाई करने के बाद आपको 20 से 25 दिनों बाद इसकी निराई-गुड़ाई करना चाहिए जिससे खरपतवार नियंत्रण रहे और पैदावार अच्छे से हो। आपको हर हफ्ते इसकी हल्की भराई करना चाहिए।

आज के इस महत्वपूर्ण आर्टिकल को लेकर आप सभी का कोई भी सावल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स मेंं ज़रूर लिखें और आर्टिकल कैसा लगा ये भी ज़रूर बताएं। इस लेख सभी किसान भाइयों तक शेयर ज़रूर करें, धन्यवाद।

FAQs :-

फरवरी के महीने में कौन सी सब्जियों की खेती की जा सकती है?

फरवरी के महीने में उगाई जा सकने वाली सब्जियां क्षेत्रीय के आधार पर अलग-अलग होती हैं। हालाँकि, फरवरी में उगाई जा सकने वाली कुछ सामान्य सब्जियों में पालक, सलाद, मूली, लौकी, तरोई, पेठा, पालक, बैंगन, गाजर और मटर आदि शामिल हैं।

फरवरी में सब्जियां उगाते समय किन सामान्य कीट और बीमारियों का ध्यान रखना चाहिए?

फरवरी में सब्जियां उगाते समय देखने के लिए कुछ सामान्य कीट और बीमारियों में एफिड्स, स्लग और फंगल रोग जैसे पाउडर फफूंदी और डाउनी फफूंदी शामिल हैं। नियमित निगरानी और निवारक उपाय, जैसे कि उचित दूरी, अच्छी स्वच्छता, और उपयुक्त कीटनाशकों और कवकनाशकों का उपयोग, कीट और रोग के मुद्दों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

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