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ककड़ी की खेती कब और कैसे करें | Kakdi ki kheti kaise karen

ककड़ी की खेती एक ऐसी खेती है। जो कि बहुत कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है। भारत में इस खेती को नकदी फसल के रूप में भी जाना जाता है। ककड़ी की खेती लगभग सभी क्षेत्रों में किया जाता है। यह भारत की मूल फसल है। इसका उपयोग ज्यादातर लोग सलाद या सब्जी के रूप में करते हैं। गर्मियों के मौसम में ककड़ी का सेवन बहुत ही अधिक मात्रा में किया जाता है। गर्मी के मौसम में बाजार में ककड़ी की कीमत अच्छी खासी मिलती है। जिससे किसान भाई इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमाते हैं।

अगर किसान भाई वैज्ञानिक विधि से ककड़ी की खेती करते हैं, तो उनको इस खेती से डबल मुनाफा होता है। यदि आप भी इस सीजन ककड़ी की खेती करना चाहते हैं। तो आज हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे कि ककड़ी की खेती कब और कैसे करें। इसके बारे में पूरी जानकारी दी जा रही है।

ककड़ी की खेती कैसे करें

ककड़ी की खेती को भारत में कद्दू वर्ग में गिना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम कुकुमिस मेलो वैराइटी यूटिलिसिमय है। ककड़ी की खेती, बहुत ही आसान तरीके से किया जाता है। केवल इसे बोने के समय में अंतर होता है। इसकी बुवाई अक्टूबर और जनवरी में सामान्य रुप से नही बोया जाता है। क्योकि ककड़ी की खेती अधिक सर्दियों वाले मौसम में नहीं किया जा सकता है। इसीलिए इसको फरवरी और मार्च के महीने में लगाया जाता है। जिससे अच्छी फसल की पैदावार हो। इस फसल को बलुई दोमट मिट्टी बहुत ही पसंद है। इस फसल में केवल आपको दो बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। भारत में मुख्यतः दो प्रकार की जातियां होती है।एक में हलके हरे रंग के फल होते हैं तथा दूसरी में गहरे हरे रंग की। बाजार में ग्राहकों को कच्ची अवस्था में ही ककड़ी का सेवन करना पसंद रहता है। प्रति हेक्टेयर की लगभग 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार होती है।

ककड़ी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

ककड़ी की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे अच्छा माना गया है। बारिश तथा सर्दियों के मौसम में इसकी खेती को करना मुश्किल होता है। क्योंकि उस समय फसल के सड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। गर्मियों का मौसम पैदावार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि गर्मियों में पौधे को संपूर्ण रूप से 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच में तापमान मिलता है। जिससे पौधे का अच्छा विकास होता है। तथा इसके बीजों का जमाव 20 डिग्री सेल्सियस के कम तापमान के अंदर होना संभव नहीं हो पाता है। इसीलिए गर्म तापमान इसके लिए सबसे अच्छा मौसम माना गया है।

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ककड़ी की खेती के लिए भूमि

ककड़ी की खेती भारत के सभी क्षेत्रों में सामान्य रूप से किया जाता है। लेकिन इस खेती को सबसे आसानी और अधिक पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे अच्छी मिट्टी माना गया है। इसकी खेती करने से पहले उस भूमि का चुनाव करना चाहिए। जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो, जलभराव की समस्या होने पर ककड़ी में सड़न आने की संभावना रहती है। ककड़ी की खेती के लिए सामान्य पी.एच 6.5 से 7.5 मान वाली मिट्टी की आवश्यकता होती हैं। इस पीएच मान में ककड़ी की पैदावार अच्छी होती है

ककड़ी की खेत की तैयारी

ककड़ी की खेती करने के लिए आपको खेत की तैयारी बहुत अच्छे तरीके से करना होता है। सबसे पहले आपको खेत में सभी प्रकार के घास फूस को नष्ट करने के लिए खेत की एक बार जुताई करवाना चाहिए। इसके बाद उस खेत जुताई किए गए खेत में आपको पानी का पलेव देना चाहिए। एक या 2 सप्ताह के बाद जब मिट्टी हल्की सूखने लगे तब आपको उसमें रोटावेटर से मिट्टी को अच्छे से भुरभुरी बना देना चाहिए। इसके बाद पटा लगा कर उसको समतल कर देनी चाहिए। ककड़ी की बुवाई करने से पहले आपको खेत में नालियां भी बना लेनी चाहिए। मिट्टी में जब नमी हो तभी बुवाई का कार्य को पूर्ण कर लेना चाहिए। जिससे ककड़ी के बीजों का अंकुरण अच्छा और सही समय पर हो।

ककड़ी की उन्नत किस्में

देश में ककड़ी की कई उन्नत किस्में हैं। जिसकी खेती करके आप अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। लेकिन आज हम आपको कुछ उन्नत किस्में बताएंगे। जिसमें आप की पैदावार काफी अच्छी होती है। जैसे – जैनपुरी ककड़ी, पंजाब स्पेशल, दुर्गापुरी ककड़ी, लखनऊ अर्ली और अर्का शीतल आदि ककड़ी की कुछ ऐसी प्रजातियां हैं जो किसान भाइयों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होती है।

बीज की मात्रा एवं बुवाई विधि

ककड़ी की बुवाई करने के 2 तरीके हैं। पहला तरीका यह है की आप नर्सरी तैयार करें और दूसरा है कि आप सीधे बीज की रोपाई करें। एक हेक्टेयर में लगभग 2 से 3 किलो बीज की आवश्यकता होती है। अगर आप बीज की बुवाई कर रहे हैं। तो बीज में लगने वाली बीमारियों से बचने के लिए आपको बैनलेट या बविस्टिन 2.5 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से उपचार कर लेना चाहिए। अगर आप नर्सरी तैयार करते हैं, तो आपको नर्सरी तैयार करने में 20 से 25 दिन लगते हैं। इसके बाद आप ककड़ी की अच्छी उत्पादन के लिए लाइन से ककड़ी के पेड़ो को 1 से 2 मीटर के अंतराल पर 30 सेंटीमीटर चौड़ी नारियां बनानी होती है, और दोनों किनारों के ऊपर 30 से 45 सेंटीमीटर दूरी के बीच मे बुवाई करते हैं।

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खाद एवं उर्वरक की मात्रा

ककड़ी की खेती के लिए आपको गोबर की सड़ी हुई खाद 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए मिट्टी में देनी चाहिए। इसके साथ ही साथ आपको रासायनिक खाद के रूप में 80 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 60 किलो पोटाश, प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए। रसायनिक खाद का उपयोग आप जब खेत में मेड़ बनाते हैं। उसी समय आपको रासायनिक खाद के 1/3 हिस्से को मिला देना चाहिए। बाकी हुए बचे हुए रासायनिक खादों को 20 से 25 दिनों बाद निराई और गुड़ाई करने के बाद मेड़ी चढ़ाते समय दोबारा से देना चाहिए तथा इसके बाद 40 से 45 दिन के जब पौधे मे फूल आने लगते हैं। तब आपको यूरिया के साथ कुछ जैविक पदार्थ मिलाकर देना चाहिए।

ककड़ी फसल की देखभाल कैसे करें

खेत की सिंचाई

ककड़ी की खेती के लिए सामान रुप से बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। क्योंकि इसकी बुआई करने से पहले इसके खेत को एक बार सिंचाई किया जाता है और फिर बुआई की जाती है। जिसके कारण इसमें नमी बनी रहती, लेकिन साथ ही साथ आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर आपके खेत में नमी की कमी दिख रही है। तो आप इसकी सिंचाई कर सकते हैं। सामान्यतः इसमें दो ही सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई आप 20 से 25 दिन बाद के अन्दर करें और दूसरी सिंचाई 40 से 45 दिन बाद कर सकते हैं।

निराई-गुडाई

ककड़ी की खेती में अच्छी पैदावार लेने के लिए आपको समय -समय पर निराई और गुड़ाई करते रहना चाहिए। जिससे खरपतवार नियंत्रण में रह सके और पौधे में रोग लगने का खतरा भी कम हो और पौधे का विकास हो सके। इसके लिए आपको पहली निराई-गुड़ाई 20 से 25 दिनों के अंदर करना चाहिए तथा इसके बाद लगातार 10 से 15 दिनों के अंदर आपको निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए। इस फसल में दो से तीन बार निराई गुड़ाई करने की आवश्यकता होती है।

कीट एवं रोकथाम

फल मक्खी:- ककड़ी की फसल में फल मक्खी मुख्य रूप से देखा जाता है। यह फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है। इस फसल के रोकथाम के लिए आपको मैलाथियान 50 ई सी या डाईमिथोएट 30 ई सी एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए।

लाल भृंग:-  यह कीट सामान्यतः लाल रंग का होता है। यह भी पत्तियों को खाँ कर छलनी कर देता है। जिससे पौधे की ग्रोथ रुक जाती है। पौधा धीरे-धीरे सूखने लगता है। इस कीट के नियंत्रण के लिए आपको कार्बारिल 5 प्रतिशत चूर्ण का 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। अधिक प्रकोप होने पर आप इसको 15-15 दिनों में छिड़काव कर सकते हैं।

बरूथी :- बरूथी कीट को फसल में अधिक देखा जाता है। यह कीट पत्तियों के निचले स्तर पर रहकर तने और पत्तियों के रस को चूसता है। जिससे पौधा पूरी तरह से सूखने लगता है। इसके बचने के लिए इथियॉन 50 ई सी 0.6 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी से छिड़काव करना चाहिए।

रोग एवं नियंत्रण –

ऐंथ्राक्नोम :- ककड़ी की फसल में यह रोग पत्तों पर लगता है। जिसके कारण पत्तियां भूरे रंग की होने लगते हैं। और पत्ता पूरी तरह से झुलसा हुआ दिखाई देता है। इस रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेनडाजिम 2 ग्राम या मैनकोजेब 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

डाउनी मिल्ड्यू:- यह रोग सामान्यतः कभी-कभी लगता है। इस रोग के लगने से फसल की पत्तियों पर हल्के पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। इस के रोकथाम के लिए आपको मैन्कोजेब दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलकर इसके घोल का छिड़काव करना चाहिए।

पाउडरी मिल्ड्यू (छाया):- यह रोग पौधे की पत्तियों के ऊपर सफेद चूर्णी धब्बे के रूप में दिखाई देता है। यह रोग फल और पत्तियों दोनों पर देखा जा सकता है। इस रोग के लगने से फल और पौधे का विकास रुक जाता है। इस रोग के रोकथाम के लिए आपको सल्फर 20 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलकार 10 से 15 दिनों के अन्तराल यह दो से तीन बार छिड़काव करना चाहिए।

मुरझाना:- यह ककड़ी के पौधे के वेस्कुलर टिशुओंको प्रभावित करता है। जिससे पौधा तुरंत मुरझाने लगता है। इस रोग के नियंत्रण के लिए आपको इसका कप्तान या हैक्सोकैप 0.2 से 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए।

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तुड़ाई एवं पैदावार

ककड़ी की बुवाई करने की 60 से 70 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है। इसके बाद इसकी फसल की तुड़ाई सामान्य रूप से चालू हो जाती है। जब ककड़ी हरी और मुलायम होती है तो बाजार में इसके अच्छे भाव मिलते है। अन्यथा जब कड़ी हो जाती है। तो उसका दाम कम मिलता है। इसीलिए समय रहते ही ककड़ी तुड़ाई करनी चाहिए। एक हेक्टेयर में ककड़ी की खेती की बात करें तो लगभग 200 से 250 कुंटल तक पैदावार होती है।

FAQs

ककड़ी को बढ़ने में कितना समय लगता है?

यह ककड़ी की किस्म के ऊपर निर्भर करता है कुछ प्रकार की जिसमें 50 से 60 दिनों के अंदर तैयार हो जाती हैं तथा सामान्य रूप से 60 से 70 दिनों में यह फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है। फसल की तुड़ाई तभी करनी चाहिए जब इसमें स्वाद अच्छी तरह से आने लगे।

ककड़ी का बीज कैसे बोया जाता है?

ककड़ी के बीज आप खेत में कैसे बोएं इसके बारे में इस पेज में ऊपर बताया गया है तथा आप अगर इसको गमले में उगाना चाहते हैं। तो आप एक गमले के केंद्र पर 2 बीज बोएं। उभरे हुए सीड्स को 3 x 3 फुट के अंतराल से 2 बीज प्रति स्थान पर रोपें । बीज को अपनी उंगलियों से मिट्टी के माध्यम में थोड़ा दबाएं और उन्हें आसपास की मिट्टी से पूरी तरह से ढक दें।

ककड़ी में कौन सी दवा डालें?

ककड़ी मे आप डूरिवो (साईंट्रानिलिप्रोल 10.26 फीसदी ओडी) 15 मिली प्रति 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर जड़ के पास प्रयोग करें।

क्या मुझे ककड़ी के पौधों को ट्रिम करना चाहिए?

जी हां आप कर सकते हैं क्योंकि इससे पौधे मे वृद्धि और फलों के उत्पादन में संतुलन देखी जाती है। ढ़ते मौसम के दौरान बाहरी शाखाओं, पत्तियों, फूलों और फलों की आवश्यकतानुसार छँटाई करें। किसी भी मृत या क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाकर खीरे की लताओं को काटना शुरू करें।

एक पौधा कितने खीरे पैदा कर सकता है?

एक स्वस्थ ककड़ी के पौधे से लगभग तीन सप्ताह की फसल अवधि के भीतर 10 बड़े कूक या 15 छोटे कूक पैदा करने की उम्मीद की जा सकती है

ककड़ी का पौधा कितने किलो पैदा करता है?

ककड़ी का एक पौधा आपको लगभग 6-7 किलोग्राम फल देगा है।

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