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इन पौधों की खेती करके कम लागत में मिल सकती है जबरदस्त मुनाफा

भारत देश एक कृषि प्रधान देश है। जहां पर 60 से 70% आबादी गांव में रहती है। आज भी देश में एक बड़ा हिस्सा सिंचाई की समस्या से परेशान है। जहां पर बहुत कम पौधों की खेती उगाई जाती हैं। लेकिन यह बात भी सही है कि ज्यादा कैश क्रॉप बंजर जमीन पर उगाई जाती है। लेकिन आज के समय में कुछ ऐसी भी खेती हो रही है। जिसमे कम पानी में उगाई जाता है।

इन सभी को देखते हुए भारत कृषि के क्षेत्र काफी तेजी से विकास भी कर रहा है। हम केवल खाद्य पदार्थो, सब्जियों के उत्पादन के साथ-साथ अब बागवानी फसलों में भी काफी तेजी से किसानों को प्रेरित कर रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन करोना महामारी के बाद से देश से नहीं पूरे विदेशों में औषधि जड़ी बूटियों की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है।

इन पौधों की खेती करके कम लागत मे अच्छा मुनाफ

भारत आयुर्वेदिक का जनक होने के नाते हम सभी प्रकार की जड़ी बूटियां उगाने में सक्षम है। उससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। इस प्रकार की खेती करने में किसान भाइयों को बहुत ना के बराबर खर्च आता है और अपनी बंजर पड़ी जमीन पर भी इस प्रकार का खेती करके लाखों रुपए कमा सकते हैं। देश ही नहीं पूरे विदेश में कई ऐसी दवा कंपनियां है।

जो औषधि जड़ी बूटियां उगाने वाले किसानों के साथ मिलकर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी करवा रही हैं। आज के समय में दो ऐसी औषधि फसलें हैं जिनकी मांग बहुत तेजी से बाजार में है। और यह काफी पसंद भी किया जा रहा है। इनमें एक और एलोवेरा है और दुसरा लेमनग्रास है। अरोमा मिशन के तहत इन दोनों फसलों की खेती करने के लिए नई-नई तकनीकों की मदद ली जा रही है।

लेमनग्रास की खेती (Cultivation Of Lemongrass)

लेमनग्रास एक ऐसी खेती है। जिसको ना तो जानवर खाते हैं और इसे बंजर भूमि में आसानी से उगाया जाता है। यह एक खुशबूदार घास है। जो कि किसान भाई आसानी से उगा सकते हैं। इस खेती को बहुत कम खर्च में करके जबरदस्त मुनाफा कमाया जा सकता है। लेमनग्रास घास का उपयोग करके कंपनियां साबुन, निरमा, डिटर्जेंट, तेल, हेयर आयल, मच्छर लोएस, सिरदर्द दवा, कॉस्मेटिक, अरोमा थेरेपी के लिए सिरम बनाए जाते हैं।

अगर भारत में लेमनग्रास की खेती का प्रोडक्शन देखा जाए तो हर साल 600 से 700 टन से भी ज्यादा का प्रोडक्शन किसान भाई लेमनग्रास की करते हैं। नए-नए किसान भी इस खेती की तरफ अपनी रुचि दिखा रहे हैं। इसकी खेती कई प्रकार से किया जाता है। इसकी खेती चाहे आप अंतरवर्तीय खेती कर सकते हैं या फिर खेत की मेड़ों पर भी इस घास की रोपाई कर सकते हैं। यह बहुत कम समय में ही तैयार हो जाता है। इस की कटाई हार्वेस्टर द्वारा भी किया जा सकता है। कुछ किसान भाई लेमनग्रास की खेती के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर भी अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं ।

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एलोवेरा की खेती (Cultivation Of Aloe Vera)

एलोवेरा के बारे मे तो लगभ सभी जानते या सुने होंगे। लेकिन कोरोनाकाल के बाद एलोवेरा की भी काफी तेजी से मांग बढ़ी है। इस समय राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाकों में एलोवेरा की खेती का गढ़ माना जाता है। क्योंकि इस फसल में ना के बराबर पानी का इस्तेमाल किया जाता है और इन इलाकों में एलोवेरा काफी तेजी से बढ़ता है।

एलोवेरा की खेती आमतौर पर रेतीली मिट्टी में किया जाता है। लेकिन इन इलाकों में बारिश बहुत कम होती है। किसान भाई अपने खाली खेतों में एलोवेरा के बेबी प्लांट भी लगाकर इसकी खेती कर सकते है। जो कि अगले 5 साल तक उनको भरपूर उत्पादन देते रहते हैं।

एलोवेरा औषधि पौधा के रूप में जाना जाता है। जिसको हेयर, स्किन, बॉडी पर लगाने के साथ-साथ इसका ज्यादा उपयोग जूस के तौर पर किया जाता है। जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसका पत्ता बहुत कड़वा होता है। जिसके कारण जानवर भी इसे नहीं खाते है। हमारा खेत जानवरों से भी सुरक्षित रहता है।

किसान भाई एलोवेरा की खेती मे अगर 40 से 50 हजार का निवेश करते हैं। तो अपने खेत में लगभग 12 से 14000 पौधा लगा सकते हैं। इतने पौधे में किसान साल भर में आप 2.5 से 3 लाख रुपये की आमदनी आराम से कर सकते हैं।

अरोमा मिशन क्या है इसका लाभ कैसे लें?

किसान भाई यदि आप सुगंधित और औषधीय फसलों की खेती करना चाहते हैं। या भविष्य में इस प्रकार की खेती करने का मन बना रहे हैं। तो अरोमा मिशन के जरिए इस प्रकार की खेती करने का ट्रेनिंग ले सकते हैं। वहां पर आपको प्रोसेसिंग से लेकर मार्केटिंग तक सभी जानकारियां दी जाती हैं।

इस मिशन के तहत सभी प्रकार की औषधि सुगंधित फसलों को किस प्रकार से कम लागत में पैदा किया जाए और असिंचित इलाकों में किसान भाइयों की आय को कैसे बढ़ाया जाए। इन सभी के बारे में आपको सिखाया जाता है। खेती को एक अच्छा विकल्प कैसे दिया जाए इन सभी के बारे में बताया जाता है। अरोमा मिशम आपको लेमनग्रास के साथ-साथ मेंथा, लैवैंडर जैसी तमाम फसलों को भी शामिल किया गया है।

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